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तू ना आया नजर्

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रात बहुत हो गयी, अब सुबह होने वाली है, मुझको नीँद नहि आयी, अब तो आँखे भी थकने वाली है, एक अरसा बीत गय तुझे याद करते करते, पर तू ना आया नजर्, अब तो आजा मेरे लख्त्-ए-जिगर्, वर्ना कहेग कि इन्तजार  कर ना सका, क्युँकि इस रात की तरह ही अब मेरी साँसो कि रफ्तार ढलने वाली है