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ना मैं हिन्दू हूँ - ना ही मुसलमान हूँ

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मुझे ज़रा भी परवाह नहीं उन फिजूल के रिवाजों की, जो मुझे इंसान होने से रोके, जो कहना है कहते रहो, मैं तो ईद की सेवईयां और दिवाली की मिठाइयाँ एक साथ बैठकर खाऊंगा…….! मैं बेफिकर हूँ उन सियासत के चाटुकारों से जो मुझे इंसान होने से रोके, जो करना है करते रहो मैं तो मन्दिर की आरती में भी जाऊँगा और मस्जिद की नमाज में भी सर झुकाउंगा…..!! मुझे मतलब नहीं उन धर्म के ठेकेदारों से जो मुझे इंसान होने से रोके, जो करना है करते रहो मैं कुरआन भी पढूंगा और गीता के श्लोक भी गुनगुनाउंगा…..!!! मेरा रिश्ता नहीं समाज के उन तामीर दारों से जो मुझे इंसान होने से रोके, जो करना है करते रहो मैं तो भगवा रंग का कुर्ता और हरे रंग की धोती पहन कर आऊंगा……!!!! मुझे मोह नहीं उस चौखट से जो मुझे इंसान होने से रोके मेरे कदमों को बांधे, जो करना है करते रहो, मैं काशी विश्वनाथ का तिलक लगाकर मक्के मदीने भी जाऊँगा …..!!!!!

अजनबी की तरह.......🖋🖋🖋🖋📝

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सुध - बुध सब खोकर जिसकी तलाश में भटका एक अरसा बाद वो मुझे मिला भी तो किसी अजनबी की तरह…..! सुख-चैन सब गंवाकर, खुद से खुद को चुराकर जिसे हर पल सीने से लगाये रखा, वो आज दूर गया मुझसे, तो किसी अजनबी की तरह……!! साँसों में उसका नाम सजाकर उसे अपनी धड़कनें बनाकर जिसे बेइंतहां चाहा वो मुझसे खफा भी हुआ तो किसी अजनबी की तरह.….!!! खुद को हर पल भुलाकर उसे अपना खुदा बनाकर हर दुआ में जिसको माँगा, वो गैर भी हुआ तो किसी अजनबी की तरह……!!!!