मैं आवारा हूँ
 
       फ़िज़ाओं ये बन्दिशें न लगाओ मुझ पर,    मैं आवारा हूँ  हर गिरफ्त छोड़ जाउँगा.........१      हवाओं न इस तरह इतराओ ख़ुद पर,   मैं आज़ाद पँछी हूँ तेरी जद से तेज उड़ जाउँगा.......२     बादलोँ यूँ गरज़ कर न डराओ मुझे,   मैं बंजर ज़मीन हूँ हर बूँद निगल जाऊँगा.............३     पहाड़ों न ऊँचाइयों का ख़ौफ़ कराओ मुझको,   मैं बाज हूँ तुझसे ऊँचा उड़कर निकल जाऊँगा.........४     दरियाओं न गहराई का मुझको वास्ता देना,   मैं साग़र हूँ तुझे ख़ुद के अन्दर समा जाऊँगा..........५     तमाम दौलतों की मुझे रिश्वतें मत देना,   मैं फ़क़ीर हूँ हर ख़ज़ाने से मुँह मोड़ जाऊँगा.............६     न इश्क़ - न हुस्न की तलब मुझमेँ रह गयी है,   मैं बेख्याल हूँ तुझको कर बेहाल छोड़ जाऊँगा...........७     न महलों की ख़्वाहिश न रेशम की ही जरूरत है,   मैं बंजारा हूँ फटे-हाल हो आसमाँ को छत बनाऊँगा........८     न लोगोँ की न शहरों की ही लज़्ज़त है मुझको,   मैं रिन्द हूँ मयख़ाने में ही हद से गुज़र जाऊँगा............९     न जीने - न मरने की दास्ताँ सुनाओ तुम,   मैं इश्क़ से गुजरा हूँ हर ज़हर निग़ल जाऊँगा..............१०   
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