नन्हीं चिड़िया की याद सताती है
 
     गर्मी के मौसम में जब-जब   शहर की तीखी धूप मुझे अखरती है,  सड़कों से उगलती गर्मी  और पक्के कमरों की दीवार भभकती है,  तब गर्म छतों पर रहने वाली  उस नन्हीं चिड़िया की याद सताती है...........१   चिलचिलाती धूप की चादर  मेरे सर को जब छू कर जाती है,  गर्म हवा, लू और लपट के  थपेड़ो से रँगत मुरझा जाती है,  तब पल भर की छाँव को तरसने वाली  उस नन्हीं चिड़िया की याद सताती है............२   जब पी-पी क़र पानी दिन भर भी  प्यास नहीँ बुझ पाती है,  कदम-दो-कदम चलते ही  मिट्टी में सारी ताक़त मिल जाती है,  तब बूँद-बूँद को तरसने वाली  उस नन्हीं चिड़िया की याद आती है..........३   जब कड़क धूप की किरणें  मेरे बदन को सहला जाती हैँ,  मन पागल सा हो जाता है  मानो सारी खुशियाँ पिघल जाती हैं,  तब गर्म आसमाँ में उड़ने वाली  उस नन्हीं चिड़िया की याद सताती है.........४   गर्म हवा के अन्धड़ से गुजर  कोई अपना जब घर को आता है,  देख के कुम्हलाया हुआ चेहरा  दिल मौसम को कितनी दुत्कार लगाता है,  ऐसे में कोमल पँखो वाली  उस नन्हीं चिड़िया की याद सताती है.........५   गर्मी को दोपहरों में जब  बाहर निकलना पड़ जाता है,  दिल चीखें कितनी ...