तेरे जिस्म को चाहने वाले
फ़िकर तेरी भी होती है मुझको कभी - कभी, न जाने किस मोड़ पर तुझको छोड़ जाये तेरे जिस्म को चाहने वाले.......१ खैर, अब होना भी क्या है तेरा भला मेरे हांथो, तकलीफ ये है कि क्या न क्या तकलीफ दे जायें तेरे हुस्न को चाहने वाले.....२ कब तुमने सुनी है मेरी कब मुझको तवज्जो दी है, मुआमला ये है कि किस वक्त रुला जायें तुझे तेरे शोख लबों पे मरने वाले.......३ आराम तुमको भी नहीँ है और सुकून मुझको भी नहीँ है, लौट आना जब तुझपे बेरहम हो जायें वो तेरे गेसुओं में सोने वाले......४ लौटकर आयेगा नहीँ अब वो वक्त मोहब्बत वाला, याद करना मुझे जब तुझे भूल जायें वो तेरे आगोश में सिमतबे वाले.....५ कहकशे लगाते हैं लोग ठहाके देते हैं, तुम सम्हल जाना जरा जिन्दा ही मौत दिखा देते हैँ वफ़ाओं से मुकरने वाले.....६ अब तलक कयी रँग देखे हैं मैने दुनिया के, आँखे बन्द कर लेना जब तुझे बेरंग कर जाये वो तेरे गोरे रँग पे लुटने वाले...७ क्या खता की थी कभी मैंने दौर-ऐ-इश्क में कोई, आँसू बहाने की भी खता मत करना जब एक खता पे बिफर जाये तेरी हर खता माफ करने वाले.......८ ख्वाब मैंने भी बहुत देखे थे तुझे आँखों ...