इतना भी बुरा नही
ए इश्क्, तू इतना भी बुरा नही कि मुझसे छीन ले सब कुछ मेरा, . वो तो मैँ ही था अकल का मारा, कि लुटाता रहा मैँ कुछ कभी तो कुछ कभी....!!!
मेरे जज्बात आवारा एहसास परिन्दों सी ख्वाहिशें, ज़िन्दगी का तजुर्बा, कुछ मेरी - कुछ तुम्हारी कुछ यहाँ की - कुछ वहाँ की कभी इसकी - कभी उसकी न जाने किस-किस की।