आवारगी
१ ये दायरे, ये बंदिशें किसी और पर थोपो मैं हवा का झोंका हूं मुझे आवारगी पसंद है.....!! २ इश्क -ओ -ऐतबार की बंदिशों में बंधकर रहना नहीं आता, मैं आवारा हवा हूं फजाओं की मुझको कहीं ठहरना नहीं आता.......!! ३ किसी को दौलत में किसी को शोहरत में तो किसी को बंदगी में मजा आता है, मैं बंजारा मजाज़ हूं, साहब मुझको बस आवारगी में मजा आता है......!! ४ खैरात में नहीं मिली मुझको ये मुफलिसी ये आवारगी, ये बेबाक लहज़ा, बहुत मशक्कत की है मैने खुद को इतना बरबाद करने के लिए.......!! ५ बहुत मुतासिर है तेरे हुकूक से वजूद मेरा, ऐ हवाओं मुझको इल्म दो तमाम बंदिशें मिटाने का......!!