भूरा मर गया
 
      ना जाने क्यूँ,   आज सुबह हर रोज की तरह नही लग रही थी,   वैसे तो सब कुछ था शायद ,   पर कुछ कमी सी लग रही थी.......!!!     मैँ सोचने लगा,   पर कुछ समझ नही आया,   काफी देर बाद अचानक से कुछ ख्याल आया,   मैँ तुरन्त उठा ,   और सीधा रसोई घर मेँ गया.......!!!     और सच मे,   कुछ बदला था,   रोज की तरह आज वो मूँगफली के दाने खतम नही हुए थे,   और ना ही कुतरे हुए बिस्कुटो के छोटे - छोटे टुकडे पडे हुए थे,   बल्कि पूरे के पूरे बिस्कुट पडे हुए थे.....!!!     मुझे लगा शायद वो कहीँ चला गया,   मुझे दुख तो हुआ,   पर उस छोटे से भूरे चूहे ने अपना घर बदला होगा,   ऐसा सोच कर मैँ चुप हो गया.....!!!     काफी देर तक मन मेँ आते हुए अजीब ख्यालो को मारकर मै उठा ही था,   और ब्रश करने लगा,   कि तभी,   मुझे आवाज आयी मेरे छोटे से कुत्ते की.....!!!!     मैँ अन्दर गया,   देखा कि वो सिलिन्डर के पीछे खडी होकर भौक रही थी,   मुझे देखते ही वो चुप हो गयी,   अपने छोटे - छोटे पँजो से कुछ इशारा भी कर रही थी.....!!!      मैँ मानव भावना से ग्रस्त हुआ,   किसी अनहोनी के होने के भय से गम्भीर हुआ,   मैने मुँह धोये बिना ही उसक...
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