आवाज खुशी की


अभी मैँ बस बाहर आकर बैठा ही था,
कि रोज के शोर मे से अलग हटकर ,
कुछ अलग सी आवाजेँ मेरे कानो मे आयी,
वैसे तो गली के उस शोर मेँ,
हर आवाज खुशी की होती थी,
क्युँकि आने वाली आवाजो मेँ अक्सर,
वो आवाजेँ बच्चो की ही होती थीँ ......!!!!

खैर जो भी हो,
उन नयी आवाजो ने मेरा ध्यान अपनी तरफ खीँचा,
मैने थोडा सा झुक कर नीचे देखा,
और मन मे अजीब सी जीत की खुशी नजर आयी,
ना जाने क्युँ ऐसा लगा कि कुछ मिल गया हो मुझे जिसकी तलाश थी मुझको.....!!!

वो मोहल्ला जहान मैँ अभी अभी आया था,
बहुत छोटा था,
वैसे कहना तो गलत होगा,
पर ये सच है कि यहाँ बहुत बडे लोग नही रहते हैँ,
इनमे से ज्यादातर लोग ऐसे हैँ जो बस मेहनत मजदूरी करते हैँ,
और अपने बच्चो का किसी तरह पेट भरते हैँ....!!!

तो इसी तरह क घरो मे से एक घर जहाँ 5- 6 बच्चे हैँ,
वो अक्सर दिख जाते हैँ मुझे  अपने किराये के मकान की छत पर बैठे हुए,
बेशक मै उन्हे गौर से देखत हुँ,
पर वो मुझे नही,
क्युँकि वो काफी ध्यान से  गली मे खेलते हुए बाकी बच्चो को देखते रह्ते हैँ....!!!

खास बात तो ये है,
कि वो भी बच्चे हैँ जो सिर्फ देखते हैँ,
और ये भी बच्चे हैँ जो खेलते हैँ ,
पर इतने दिनो मे मैने कभी इन देखने और खेलने वालो को साथ नही देखा....!!!!!

 यहाँ पर बात थी सम्पन्नता और निर्धनता की,
आप सोचेँ कि शायद बच्चो को ये नही पता होता,
पर माँ - बाप को तो पता होता है ना,
शायद माँ- बाप कि उसी डाँट क नतीजा था,
कि बाकी बच्चे उन्हे अपने साथ खेलने क लिये नही बुलाते हैँ,
क्युँकि अपने घरवालोँ की तरह ही उन्हेँ भी लगता है कि वो बिगड जायेँगे.....!!!

पर आज माहौल कुछ और ही था,
आज तो वो शान्त रहने वाली चीखेँ,
भी कभी ना थमने वालि खुशी कि गरजना मेँ बदल चुकी थीँ,
हालाँकि कभी सुनी नही थी इसके पहले,
पर उनके खुलते बन्द होते मुँह ,
हवा मे चलते हाँथ - पाँव से बस महसूस किया है,
कि वो क्या करना या कहना चाह रहे हैँ ...!!!!!

और आज तो उन्हे मौका मिला था,
अपनी दबी हुइ आवाज को गेँद और बल्ले के हर प्रहार क साथ बाहर निकालने का,
और वो बिल्कुल वैसा हि कर रहे थे,
हर तरह के आनन्द से भरपूर अपने नये खिलौनो से खेल रहे थे....!!

शायद उनके पापा को कहीँ से कुछ पैसे मिल गये होगे,
या फिर किसी से उधार लिये होगे,
कुछ कहा नही जा सकता सही - सही,
पर मह्सूस कर सकता हुँ,
कि आज कितने दिनो से दिल मेँ दबे अरमान पूरे किये थे उन्होने अपने बच्चो के....!!!!!

पर आज कुछ ऐसा भी देखा ,
जो इतने दिनो से कभी नही दिख रहा था,
आज यहाँ कोइ छोटा या बडा नही दिख रहा था,
आज सब साथ खेल रहे थे,
बस वो कुछ नयी और उत्साहित चीखेँ,
दबी - दबी सी नही लग रही थीँ.....!!!!

तारीफ करने लायक थे वो बच्चे ,
और शायद उनके माँ बाप भी,
जो ये बिल्कुल भूल चुके थे,
कि आज वो जिनके साथ खेल रहे हैँ,
कल उन्ही लोगो ने उनसे एक बार भी नही पूछा था,
क्युँकि कल तक वो उनके साथ खेलने से बिगड रहे थे,
और आज उनके माँ बाप भी उन्हे नही रोक रहे थे....!!!



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