कांवड़ यात्रा - आस्था के नाम पर खिलवाड़
मैं पिछले 8-10 सालों से ऋषिकेश आ रहा हूँ, लेकिन इतना गन्दा और घटिया माहौल यहाँ कभी नहीँ देखा, जितना कि ये श्रावण महीने के 10-15 दिनों ने दिखा दिया है, माफ कीजियेगा लेकिन मैं बात कर रहा हूँ भोले बाबा के भोले भक्तों की, जिनकी वजह से यहाँ पर आये भारतीय परिवार और विदेशी सैलानियों का जीना और खुल कर घूमना हराम हो गया है, ये लोग कहने को तो भोले के भक्त हैं, और यहाँ पर कांवड़ लेकर आये होते हैं, लेकिन ये कांवड़ यात्रा भक्ति और आस्था का विषय न होकर इनकी कुंठित मानसिकता को पूर्ण करने का एक साधन मात्र रह गया है, इस पूरी यात्रा के दौरान शायद इन्हें इतना पुण्य मिल जाता है कि ये किसी गरीब को सताने, लड़कियों पे बुरी नजर और अश्लील टिप्पणी करने, मादक नशे, झगड़ा, गाली-गलौच, शोर-गुल और किसी भी तरह की असामाजिक कुकृत्यों से इन्हें माफी मिल जाती होगी, कहने को मेरी बातें जरूर बुरी लगेंगी, लेकिन जो मैंने इस कांवड़ यात्रा के दौरान देखा उनमे से कुछ एक बेहद आम मग़र जिसके साथ होता है उसके लिए श...