मैं चाहता हूं......!!
मैं चाहता हूं
कि तुम अपना
हल्का गुलाबी वाला
सूट पहनकर
उस कच्चे रास्ते से
होती हुई नीचे उतरो
जो तुम्हारे घर के
पीछे वाली फुलवारी को
छूता हुआ गुजरता है
और
साथ लगे
चटख पीली चादर जैसे
पसरे हुए सूरजमुखी के
खेतों के
किनारे से होता हुआ
गांव की कच्ची
सड़क तक जाता है
मैं चाहता हूं
तुम वहां पहुंचो
और
मेंड़ के किनारे
खड़ी होकर
मेरा इंतजार करो......
मैं हल्की भूरी कमीज़
जो कि गांव के ही
दर्जी ने सीं होगी
और
सफ़ेद सूती धोती
पहने हुए
अपनी काली साइकिल से
तुम्हें लेने आऊं....
और
तुमको साइकिल में
आगे की तरफ़ बैठाकर
वहां से कुछ डेढ़ कोस की दूरी पर
हमारे अंबिया के
बगिया में ले जाऊँ
जहां हाल ही में
डेरा डाल चुके बसंत राज ने
ताज़े बौर की खुशबू से
हवाओं को
मदमस्त महका रखा होगा....
वहां की
मखमली हरी घास पे बैठकर
मैं देर तलक, अपलक, एक टक
तुम्हें निहारता जाऊं,
और
तुम कितनी खूबसूरत हो
इस कल्पना में
कहीं खो सा जाऊं,
कभी तुम अपनी
गिरती लट को संभालो
तो कभी
थोड़ा शर्मा कर
अपनी गोरी हथेलियों से
ख़ुद का चेहरा छुपा लो
कभी अपने
गिरते दुपट्टे को
वापस उठाकर कांधे पे रखो
तो कभी मुझ पर
पूर्ण विश्वास जताते हुए
मेरी हथेलियों पे
अपने कोमल हाथों को रखो,
कभी मेरी छाती पर
अपने सर को रख कर
आसमान की तरफ
अनवरत ताकती रहो
तो कभी
सम्पूर्ण अधिकार के साथ
मुझसे मेरे बाल और दाढ़ी
कटवाने के लिए टोको....
और
जब दिन चढ़ने लगे
धूप अपना रंग चटख करने लगे
तो अपने
झोले में लाई हुई
मक्के की पूरियों पर
मक्खन की डली,
हरी मिर्च का अचार
और
आलू की तीखी सब्जी डालकर
मुझे पकड़ा दो
और ख़ुद
मेरी गोद में
सर रखकर लेटे हुए
मेरे हाथों से खाने की ज़िद करो.....
फिर
मैं तुम्हारे लिए
बगीचे के कुएं से
पानी भर कर लाऊंगा
ढाक के पत्ते को
कटोरे के आकार का बनाकर
तुम्हें उसमें पिलाऊंगा
और
एक बार फिर से
हम खोयेंगे भविष्य के
कुछ मनगढ़ंत ख्वाबों में
थोड़ा अलसायेंगे
एक दूसरे पे प्यार जताएंगे
और
फिर सांझ की आहट
होते ही बुझे क़दम
लेकिन प्रसन्नचित मन से
घर को लौट जायेंगे...........!!
👏🏻👏🏻
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DeleteBahut accha likha hai aapne
ReplyDeleteThankyou
DeleteWow ... gau ki ek date esi bhi 👌💞
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DeleteBeautiful 👏
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Deleteकितना सुंदर लिखा है मुसाफ़िर जी ❤️❤️👌👌
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DeleteThankyou
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