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इतना भी बुरा नही

ए इश्क्, तू इतना भी बुरा नही कि मुझसे छीन ले सब कुछ मेरा, . वो तो मैँ ही था अकल का मारा, कि लुटाता रहा मैँ कुछ कभी तो कुछ कभी....!!!

हमको सनम सीने से लगाकर देखिये

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हमारे इश्क की राहो से गुजर कर देखिये, हमेँ भी अपना हमदम बनाकर देखिये, पसन्द आये ना अगर आपको हमारी वफा, है कसम मुझे, मुड्कर न लौटूँगा, बस एक बार , हमको सनम सीने से लगाकर देखिये.....!!! तमाम गैर हैँ युँ तो जिकर मेँ आपके, कभी सनम एक नजर हमसे मिलाकर देखिये, है वादा मेरा कि नजर पहली ही जिगर मे उतर जायेगी, बस एक बार्, हमको सनम सीने से लगाकर देखिये.......!!! तमाम उम्र हमने गुजार दी तन्हा ही, अब तो बसर कर लो जरा, इस राज को बस एक बार बेपर्दा करके देखिये, बस एक बार , हमको सनम सीने से लगाकर देखिये......!!! अब भी हूँ बेकरार उतना ही तुम्हारे लिये , जितना कि इल्म्-ओ-सितम है मुझे, कभी मेरी निगाह से खुद को उठा के देखिये, बस एक बार्, हमको सनम सीने से लगाकर देखिये......!!! अब बस भी करो, कि अब दिल मेरा सब्र  खोने है लगा, बीती बातेँ भूलकर्, कोइ रात सितारो भरी मेरे पहलू मेँ बिताकर देखिये, बस एक बार्, हमको सनम सीने से लगाकर देखिये....!!!

ऐसा कैसा धर्म है ये ???

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मुझे बहुत हँसी आती है, जब कोई हिन्दु  देता है मुसल्मान को गाली, और मुसलमान जब बदला लेता है, हिन्दु की बेइज्जती करता, तो लोग हँसते हैँ बजा - बजा कर ताली....!!! गौर करने वाली बात तो ये है, कि हम वो लोग हैँ जो धर्म तो छोड ही दो, जाति और पहचान के नाम पर भी लडते हैँ....!!! हम इतने महान हैँ, कि एक हिन्दू होकर भी,  दूसरे हिन्दु को डसते हैँ......!!! कभी हम ब्राम्हड होने पर गर्व करते हैँ, तो कभी राजपूत होने का घमन्ड , कभी हम शूद्र कहलाते हैँ, तो कभी यदुवन्शी बनकर हो जाते हैँ प्रचन्ड्....!!!! अरे धिक्कार है हमपर , जो हम एक होकर भी कभी एक नही होते हैँ, आपस मे लड्ते रहते मरते रहते  है , और एक होने क! दिखावा करते हैँ....!!!! हममे से ही ना जाने कितने है, जो हिन्दुस्तानी ही नही होते हैँ, या तो वो बँगाली होते हैँ, कुछ पँजाबी होते हैँ, मराठी होता है कोई, तो कितने बिहारी होते हैँ......!!!!! कितनी विभिन्नतायेँ है हममे,  फिर भी हम खुद को एक कहते हैँ, शर्म नही आती हमको, कि हम दूसरे को बुरा, और खुद को नेक कहते...

भूरा मर गया

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ना जाने क्यूँ, आज सुबह हर रोज की तरह नही लग रही थी, वैसे तो सब कुछ था शायद , पर कुछ कमी सी लग रही थी.......!!! मैँ सोचने लगा, पर कुछ समझ नही आया, काफी देर बाद अचानक से कुछ ख्याल आया, मैँ तुरन्त उठा , और सीधा रसोई घर मेँ गया.......!!! और सच मे, कुछ बदला था, रोज की तरह आज वो मूँगफली के दाने खतम नही हुए थे, और ना ही कुतरे हुए बिस्कुटो के छोटे - छोटे टुकडे पडे हुए थे, बल्कि पूरे के पूरे बिस्कुट पडे हुए थे.....!!! मुझे लगा शायद वो कहीँ चला गया, मुझे दुख तो हुआ, पर उस छोटे से भूरे चूहे ने अपना घर बदला होगा, ऐसा सोच कर मैँ चुप हो गया.....!!! काफी देर तक मन मेँ आते हुए अजीब ख्यालो को मारकर मै उठा ही था, और ब्रश करने लगा, कि तभी, मुझे आवाज आयी मेरे छोटे से कुत्ते की.....!!!! मैँ अन्दर गया, देखा कि वो सिलिन्डर के पीछे खडी होकर भौक रही थी, मुझे देखते ही वो चुप हो गयी, अपने छोटे - छोटे पँजो से कुछ इशारा भी कर रही थी.....!!!  मैँ मानव भावना से ग्रस्त हुआ, किसी अनहोनी के होने के भय से गम्भीर हुआ, मैने मुँह धोये बिना ही उसक...

दिल मेरा प्यार करता बहुत है

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तुम बार - बार पूछ्ती थी मुझसे, क्युँ हँसते बहुत हो ?? और मै नादान्, समझ लेता था कि तुम्हे अच्छा लगता है....!!! अच्छा होता कि जवाब दे देता मै तुमको, तो अब तुम्हारी इतनी कमी ना खलती मुझको, पर नही दिया, क्युँकि मै समझता था, कि तुम साथ नही छोडोगी मेरा, और फिर कभी बताउँगा, कि हँसता हूँ क्युँकि तुम्हारा साथ लगता अच्छा बहुत है.....!!! वैसे तो अब भी है मुझे इन्तजार तुम्हारा, कि तुम लौट्कर  आओगी कभी, पहले कि तरह ही सीने से मेरे लिपट जाओगी अभी, पर भूल है मेरी जो, बेवकूफी मे बदलती बहुत है.....!!! हाँ अच्छा ही होगा, कि तुम फिर लौटकर ना आओ, अब हुनर भी नही रह गया वो, कि तुम्हे पहले कि तरह प्यार कर पाउँ, खुश रख पाउँ, क्युँकि बेवजह्, बेरहम होकर तेरा ठुकराना मुझे, खटकता बहुत है.....!!! वैसे तो अब भी तुम मेरी हि हो, पर सिर्फ मेरे लिये, तुम्हारे लिये तो अब तुम उस सँगदिल की हो, पर अब भी जेहन मे याद तुम्हारी रहती बहुत है, दिल है मेरा जो तुम्हे चाहता है अब भी बेपनाह्, पर क्या करुँ, दुनिया को तेरा वजूद मुझमे अखरता बहुत है....!!!!...

गर्दिश मे रहते हैँ

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हर किसी को परवाह है, जब अपने सितारे गर्दिश मे होते है, . किसी को परवाह नही उन सितारो की, . जो किसी ना किसी की वजह से, हमेशा ही गर्दिश मे रहते हैँ....!!!

वफा के मायने

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आज भी इतनी गुरबत बाकी है मुझमे, कि बेवफा कह कर मै तुम्हारी तौहीन नही करुँगा, . हाँ, ये कहना सही होगा कि तुम्हे वफा के मायने नहीँ पता शायद ....