क्या कहू मै तुमसे
क्या कहू मै तुमसे मुझे नही पता,
पर ये भी सच है,
कि कुछ कहना चाहता जरूर हूँ ,
कुछ ऐसा जो मेरे मन में है तुम्हारे लिये,
कुछ ऐसा जो मै सोचता हूँ तुम्हारे लिये......
वैसे तो मन में बहुत कुछ आता है,
कि ये बोलू वो बोलू ,
बस कुछ ऐसा बोलू कि सब कुछ ठीक हो जाये,
तुम्हारी नाराजगी दूर हो जाये,
तुम सब कुछ भूल जाओ,
और जिन्दगी भर तुम्हारे साथ रहने की दुआ मेरी भी कुबूल हो जाये,
वापस मिल जाए हम ,
हमारी जिंदगी फिर एक हो जाए ..........
बोलना तो और भी बहुत कुछ चहता हूँ ,
पर डर लगता है ,
कि फिर से कही तू मुझसे रूठ ना जाये,
जो सपने देखे है तेरे साथ जिन्दगी बिताने के,
वो पल भर में कही टूट ना जाये.......
अब तुझसे क्या छुपाउ मै,
तू तो सब कुछ जानती है,
तू जानती है कि कैसे मै तुझे चाहता हूँ ,
कैसे करता हूँ इन्तजार तेरा ,
कितना करता हूँ प्यार तुमसे ..........
Please,
तुम ख़ुद से ही जान लो ना,
मुझे बस एक बार दिल से अपना मान लो ना,
मै तो बहुत चहता हूँ तुमको ,
तुम भी दिल से मुझे अपना मान लो ना......
जरा सोचो,
कि जब मै एक पल नही रह पाता हूँ तुम्हारे बिना,
तो पूरी जिंदगी तन्हा होकर,
तुमसे दूर रह कर कैसे बिताउगा ,
कैसे मै तुम्हे प्यार करुगा ,
और पगलू कह कर किसको बुलाउगा......
किसको मै रात में call करुगा ,
और फिर गाना गा क सुलाने के लिए बोलूगा,
एक बार तो सोचो,
बस एक बार्,
तुम तो जानती हो कि मुझे आदत है तुम्हारी,
मुझे कुछ नही चाहिये तुम्हारे सिवा ,
मेरे लिए तो बस तुम हि सब कुछ हो,
मै मागता भी नही कभी कुछ और तुम्हारे सिवा .......
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