शायद तुम यू ना जाते कभी मुझको छोडकर

काश कि जरा सा भी एहसास होता तुम्हे,
मेरी तरसती आखो से बरसती बूदो का,
तो शायद तुम यू ना जाते कभी मुझको छोडकर ....

बस एक बार तो मुझे अपने दिल से लगाते,
शायद जान जाते मेरी धडकनो की आवाज सुनकर्,
कि ये दिल भी तेरा और धडकन भी तेरी है,
तब शायद तुम ना जाते कभी यू मुझको छोडकर ...

बस एक बार इतने करीब आते ,
कि दरमियाँ कोई फासला ना रह जाता,
तब शायद कुछ करीब आ पाते,
मेरी साँसो को अपना मानकर्,
और यूँ ना जाते कभी मुझको अकेला छोडकर्...

कभी तो झाँक कर देखते मेरी गुरबत मेँ,
कि आखिर ऐसा भी क्या है मेरी मोहब्बत मेँ,
कि साँस भी लेने को दिल ना चाहे तुझसे रूठ्कर्,
तब शायद तुम न जाते मुझको यूँ अकेला छोडकर्...

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