मेरी नन्ही परी

एहसास अपनेपन का बहुत खास होता है,
हर सपने के सच होने का आभास होता है,
जब कोई अपना दिल के बहुत पास होता है...

 जीवन मेँ अदा हर घुल जाती है,
जब मेरी नन्ही सी परी मुझे देख कर मुस्कुराती है.....

हर रस जीवन का मधुर रस मे बदल जाता है,
जब मेरी नन्ही परी मेरे पास आने को अपने छोटे - छोटे हाँथ आगे बढाती है.....


मैँ अधीर हो उठता हुँ,
शायद बैठे ही बैठे कहीँ  उड निकल चलता हुँ,
जब वो अपने कोमल पैरो से डगमगाती हुई मेरी तरफ बढ्ती है.....

हर साज भूल जाता हु,
मीठी से भी मीठी आवाज भूल  जाता हूँ ,
जब भी कभी वो अपने कमल जैसे मुँह से तोतली आवाज मेँ मुझको बुलाती है....

खुशबू गुलाब की भी फीकी लगती है,
दुनिया सारी झूठी लगती है,
जब मेरी नन्ही परी अपने नन्हे हाँथो से मुझको अपना जूठा खिलाती है......

यूँ तो बातेँ बहुत करती है,
अन्जानी भाशा मेँ और बेहद मीठे भावो से ना जाने क्या - क्या कह्ती है,
कोशिश तो बहुत करता हू समझने की,
मगर फिर भी थोडी सी नासमझी रह जाती हैँ......

बहुत खूब उसका तरीका है,
मुझसे प्यार जताने का,
मनमानी करने का,
और फिर मुझसे रूठ जाने का,
क्युँकि मनाउँगा उसको जरूर ये वो नासमझ भी जानती है......


ये कल्पना नही मेरी हकीकत है,
बेशक वो पास नही मेरे पर मेरी जरूरत है,
नित उसकी बातेँ याद करता हूँ,
जब भी वो मेरे ख्वाबो से जाती है,
वो मेरी नन्ही परी है,
मेरी प्यारी सी बेटी है,
मुझको बहुत याद आती है........

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