मेरी माँ , प्यारी माँ


मुझे कुछ नहीँ आता था,
तूने मुझे सब कुछ सिखाया, माँ

अपनी उँगली थमा मुझे चलना सिखाया, माँ

जब भी मैँ रोया,
मुझे हँसना सिखाया , माँ

कङी धूप और ठन्ड की छाँव से तूने मुझे बचना सिखाया, माँ

गिरा मिट्टी मेँ तो कपङे झाङकर तूने  मुझे उठना सिखाया, माँ

दिन - रात
उजाला - अँधेरा
ये सब क्या होता है
तूने बताया , माँ

बचपन मेँ जब कुछ बोल नहीँ पाता था,
तूने जुबान दी मुझको, माँ

हँसना - रोना,
छोटी - छोटी खुशियोँ मे खुश होना सिखाया माँ,

याद है मुझे स्कूल का वो पहला दिन्,
मुझसे जादा तुझे फिकर थी मेरी, माँ
मैँ रो रहा था लेकिन तू हँस कर भी मुझसे जादा रोयी थी , माँ

कुछ धुँधला धुँधला सा याद है
स्कूल के बाहर तू छुट्टी होने से बहुत पहले आ गयी थी ना माँ ,

और 
मेरे बाहर आते ही तूने कैसे मुझे गले लगाया था ना
माँ ,

मेरी हर अन्जानी बात का जवाब ,
और
उस जवाब मे छुपे तमाम सवालोँ को तू ही तो सुलझाती थी माँ ,



तूने ही मुझे अच्छे - बुरे
छोटे - बङे ,
मीठे और कङवे मेँ फर्क बताया माँ ,

तू न होती तो मैँ कुछ ना होता , माँ
तूने मुझे इन्सान बनना सिखाया माँ ,
सबके साथ मिलना - जुलना सिखाया माँ ,

आखिर
तूने ही तो मुझे जीना सिखाया है , माँ
तूने ही मुझे माँ कहना सिखाया है ना प्यारी माँ ....!!!



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