वो तुम ही तो हो........👰👰


इस जहाँ को भूलकर
खुद को खुद में समेटकर
अपनी इच्छाओं को बटोरकर
अपने अंतर्मन को टटोलकर
मेरी रूह जो चाहत भरा गीत गाती है
वो गीत तुम ही तो हो…….!

यादों में खोकर
सर्द मौसम में
गर्म सांसों की तपिश से मदहोश खोकर
वो गुजरे हुये
लम्हों की चादर ओढ़कर
तेरे लबों से निकले हर अल्फाज को
बेतहाशा चूमकर
जो आशा मुझे खुद में वापस लाती है
वो मनमीत तुम ही तो हो…….!!

तुझ से चाँद की आश में
सूरज की लाली को छोड़कर
तुझे पाने को
इस सारे जहाँ से मुँह मोड़कर
तेरे आगोश में आने को
ये महफ़िल-ओ-रुआब से
सदा के लिये नाता तोड़कर
जो चाह मुझे खीँच ले जाती है
वो गम-ओ-गुसार तुम ही तो हो…….!!!

जहाँ की शर्म-ओ-हया को छोड़कर
जिसके ख्याल में मशगूल हूँ
मुफलिसी में भी दिन कई गुजारकर
जिसके इश्क की पनाह का कायल हूँ
वो जानशीं मेरा हमसफ़र
मेरे ख्यालो की आराइश तुम ही तो हो…..!!!!




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