ऐसा भी होता है


लो अब यहाँ ऐसा भी होता है
जागती है हैवानियत
इन्सान मग़र बेफिक्र हो सोता है…….!

झुक जाते हैं
महफ़िल के तमाम चेहरे
खुद-ब-खुद,
जिक्र इन्सानियत का जहाँ होता है
लो अब यहाँ ऐसा भी होता है…….!!

आ जाते हैं परिन्दे
खुद ही से
जिन्दा लाश को नोचने
कत्ल इन्सानियत का जहाँ होता है
लो अब यहाँ ऐसा भी होता है…….!!!

टूटकर बिखर जाते हैं
खुद-ब-खुद दिल के अरमान सारे
कोख में बेटी का जीवन खत्म होता है
लो, अब यहाँ ऐसा भी होता है…….!!!!

चन्द कागज के टुकड़ों के
लालच में
कितनी बहुओं का जिस्म
जिन्दा सुलग जाता है
लो, अब यहाँ ऐसा भी होता है……..!!!!!

गैरों पे क्या भरोसा, विश्वास क्या
डर तो भाई को भाई से होता है
जब घात पर घात
हर घात पर प्रतिघात होता है
लो, अब यहाँ ऐसा भी होता है………!!!!!!

मर्म दिल का नहीं जानते अपनों के
अब सगा तो बस
अच्छे हालात वाला होता है
लो, अब यहाँ ऐसा भी होता है…….!!!!!!

दिन भर में कितने झूठ
हम बोलते हैं सबसे
कितनो का सोचना
किसी की बरबादी से खत्म होता है
लो अब यहाँ ऐसा भी होता है………!!!!!!!

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