Posts

मैं आवारा हूँ

Image
फ़िज़ाओं ये बन्दिशें न लगाओ मुझ पर, मैं आवारा हूँ हर गिरफ्त छोड़ जाउँगा.........१ हवाओं न इस तरह इतराओ ख़ुद पर, मैं आज़ाद पँछी हूँ तेरी जद से तेज उड़ जाउँगा.......२ बादलोँ यूँ गरज़ कर न डराओ मुझे, मैं बंजर ज़मीन हूँ हर बूँद निगल जाऊँगा.............३ पहाड़ों न ऊँचाइयों का ख़ौफ़ कराओ मुझको, मैं बाज हूँ तुझसे ऊँचा उड़कर निकल जाऊँगा.........४ दरियाओं न गहराई का मुझको वास्ता देना, मैं साग़र हूँ तुझे ख़ुद के अन्दर समा जाऊँगा..........५ तमाम दौलतों की मुझे रिश्वतें मत देना, मैं फ़क़ीर हूँ हर ख़ज़ाने से मुँह मोड़ जाऊँगा.............६ न इश्क़ - न हुस्न की तलब मुझमेँ रह गयी है, मैं बेख्याल हूँ तुझको कर बेहाल छोड़ जाऊँगा...........७ न महलों की ख़्वाहिश न रेशम की ही जरूरत है, मैं बंजारा हूँ फटे-हाल हो आसमाँ को छत बनाऊँगा........८ न लोगोँ की न शहरों की ही लज़्ज़त है मुझको, मैं रिन्द हूँ मयख़ाने में ही हद से गुज़र जाऊँगा............९ न जीने - न मरने की दास्ताँ सुनाओ तुम, मैं इश्क़ से गुजरा हूँ हर ज़हर निग़ल जाऊँगा..............१०

कांवड़ यात्रा - आस्था के नाम पर खिलवाड़

Image
        मैं पिछले 8-10 सालों से ऋषिकेश आ रहा हूँ, लेकिन इतना गन्दा और घटिया माहौल यहाँ कभी नहीँ देखा, जितना कि ये श्रावण महीने के 10-15 दिनों ने दिखा दिया है,       माफ कीजियेगा लेकिन मैं बात कर रहा हूँ भोले बाबा के भोले भक्तों की, जिनकी वजह से यहाँ पर आये भारतीय परिवार और विदेशी सैलानियों का जीना और खुल कर घूमना हराम हो गया है,        ये लोग कहने को तो भोले के भक्त हैं, और यहाँ पर कांवड़ लेकर आये होते हैं, लेकिन ये कांवड़ यात्रा भक्ति और आस्था का विषय न होकर इनकी कुंठित मानसिकता को पूर्ण करने का एक साधन मात्र रह गया है,      इस पूरी यात्रा के दौरान शायद इन्हें इतना पुण्य मिल जाता है कि ये किसी गरीब को सताने, लड़कियों पे बुरी नजर और अश्लील टिप्पणी करने, मादक नशे, झगड़ा, गाली-गलौच, शोर-गुल और किसी भी तरह की असामाजिक कुकृत्यों से इन्हें माफी मिल जाती होगी,       कहने को मेरी बातें जरूर बुरी लगेंगी, लेकिन जो मैंने इस कांवड़ यात्रा के दौरान देखा उनमे से कुछ एक बेहद आम मग़र जिसके साथ होता है उसके लिए श...

कोई और भी है तेरा

Image
कोई और भी है जो तेरे करीब रहता है शायद, आखिर यूँ ही तो नहीँ तुम मुझसे दूरियाँ बढ़ा रहे होे.....1 कोई और भी है जो तेरा ख्याल रखता है शायद, आखिर यूँ ही तो नहीँ तो बेख्याल होते जा रहे हो......2 कोई और भी है जो तुझसे वफ़ा कर रहा है शायद, आखिर यूँ ही तो नहीँ तुम बेवफा होते जा रहे हो.......3 कोई और भी है जो तेरे हुस्न का मुरीद है शायद, आखिर यूँ ही तो नहीँ तुम बेफिकर होते जा रहे हो......4 कोई और भी है जो तुझे याद करता है हरदम आखिर यूँ ही तो नहीँ तुम मुझको भुला रहे हो.........5 कोई और भी है जो तुझे बेइंतेहा चाहता है शायद, आखिर यूँ ही तो नहीँ तुम मेरी चाहतें भुला रहे हो......6 कोई और भी है जो तेरे ख़्वाबों में बस रहा है आखिर यूँ ही तो नहीँ तुम मुझे रक़ीब बुला रहे हो.......7 कोई और भी है जो तेरी साँसों में महक रहा है आखिर यूँ ही तो नहीँ तुम बहकते जा रहे हो..........8 कोई और भी है जो तेरी नज़रों में रहने लगा है आखिर यूँ ही तो नहीँ तुम मुझसे नजरें फिरा रहे हो.....9 कोई और भी है जो तुझको अपना सा लग रहा है, आखिर यूँ ही तो नहीँ तुम गैर होते जा रहे हो........10

तेरे जिस्म को चाहने वाले

Image
फ़िकर तेरी भी होती है मुझको कभी - कभी, न जाने किस मोड़ पर तुझको छोड़ जाये तेरे जिस्म को चाहने वाले.......१ खैर, अब होना भी क्या है तेरा भला मेरे हांथो, तकलीफ ये है कि क्या न क्या तकलीफ दे जायें तेरे हुस्न को चाहने वाले.....२ कब तुमने सुनी है मेरी कब मुझको तवज्जो दी है, मुआमला ये है कि किस वक्त रुला जायें तुझे तेरे शोख लबों पे मरने वाले.......३ आराम तुमको भी नहीँ है और सुकून मुझको भी नहीँ है, लौट आना जब तुझपे बेरहम हो जायें वो तेरे गेसुओं में सोने वाले......४ लौटकर आयेगा नहीँ अब वो वक्त मोहब्बत वाला, याद करना मुझे जब तुझे भूल जायें वो तेरे आगोश में सिमतबे वाले.....५ कहकशे लगाते हैं लोग ठहाके देते हैं, तुम सम्हल जाना जरा जिन्दा ही मौत दिखा देते हैँ वफ़ाओं से मुकरने वाले.....६ अब तलक कयी रँग देखे हैं मैने दुनिया के, आँखे बन्द कर लेना जब तुझे बेरंग कर जाये वो तेरे गोरे रँग पे लुटने वाले...७ क्या खता की थी कभी मैंने दौर-ऐ-इश्क में कोई, आँसू बहाने की भी खता मत करना जब एक खता पे बिफर जाये तेरी हर खता माफ करने वाले.......८ ख्वाब मैंने भी बहुत देखे थे तुझे आँखों ...

अतीत के चितकबरे पन्ने

Image
इन बारह सालों में शायद उसको एक दो बार ही बोलते देखा था, हां बस शाम को बरामदे में बैठकर अखबार पढ़ते वक्त उसके होंठो का हिलना समझ आता था शायद करीब से सुनती तो उसका बुदबुदाना जरूर समझ आता, वैसे उसकी उम्र तो लगभग 40 की ही होगी लेकिन आंखों से झलकता इन्तजार सैकड़ो साल पुरानी कोई हीर-रांझा, लैला-मजनू, और सीरी-फरहाद जैसी प्रेम कहानी बयाँ करता था ।          कभी कभी तो दिल करता था कि उसे खामोशी की गहरी नींद से जगाकर उसकी चिरकाल से चली आ रही चुप्पी की वजह पुछु, लेकिन फिर लगता था कि ना जाने क्या समझेगा वो मेरे बारे में क्या सोचेगा, वैसे भी आज के वक्त में इतना आसान नहीं होता एक विधवा होकर किसी गैर मर्द से ज्यादा बात करना, वो भी किसी ऐसे मर्द से जो कि रहता भी अकेला हो ऊपर से मुझे भी मेरे माँ-बाप की इज्जत का भी तो डर था, इस छोटे शहर में लोग तिल का ताड़ बनाते देर नहीं लगाते ।             मोहल्ले में लोग उसके बारे में बहुत सारी कहानियां बनाते थे, वो पड़ोस वाली पूनम तो बोलती थी कि ये जरूर नामर्द होगा और इसकी बीवी इसे छोड़कर किसी गैर मर्द के साथ भा...

जुबान खामोश हो जाती है

Image
जुबान खामोश हो जाती है मेरी हलक सूखने लगता है जब भी तेरी जुबान पे नाम उस गैर का आता है……..!!!!! आजिज मेरा वजूद महसूस होता है विचारों में अंधड़ सा आ जाता है, जब भी तेरी ज़ुबान पे नाम उस गैर का आता है…….!!!! फीका-फीका सा मुझको आफ़ताब नजर आता है मेरी आदमियत बदल जाती है जब भी तेरी जुबान पे नाम उस गैर का आता है……..!!!!! इकबाल से ऐतबार उठ जाता है इज्तिरार सी रूह में उमड़ पड़ती है जब भी तेरी ज़ुबान पे नाम उस गैर का आता है……..!!!!! उरियाँ सी मेरी शख्सियत नजर आती है उजाड़ सा ये जहाँ लगने लगता है जब भी तेरी ज़ुबान पे नाम उस गैर का आता है……….!!!!! कजा खुद का कत्ल करता है क़फ़स सा ये जहाँ महसूस होता है, जब भी तेरी ज़ुबान पे नाम उस गैर का आता है……..!!!!!! खुदी खुद में चूर हो जाती है खलिश तेरी, खियाबाँ में महसूस होती है जब भी तेरी ज़ुबान पे नाम उस गैर का आता है……..!!!!!!

ऐसा भी होता है

Image
लो अब यहाँ ऐसा भी होता है जागती है हैवानियत इन्सान मग़र बेफिक्र हो सोता है…….! झुक जाते हैं महफ़िल के तमाम चेहरे खुद-ब-खुद, जिक्र इन्सानियत का जहाँ होता है लो अब यहाँ ऐसा भी होता है…….!! आ जाते हैं परिन्दे खुद ही से जिन्दा लाश को नोचने कत्ल इन्सानियत का जहाँ होता है लो अब यहाँ ऐसा भी होता है…….!!! टूटकर बिखर जाते हैं खुद-ब-खुद दिल के अरमान सारे कोख में बेटी का जीवन खत्म होता है लो, अब यहाँ ऐसा भी होता है…….!!!! चन्द कागज के टुकड़ों के लालच में कितनी बहुओं का जिस्म जिन्दा सुलग जाता है लो, अब यहाँ ऐसा भी होता है……..!!!!! गैरों पे क्या भरोसा, विश्वास क्या डर तो भाई को भाई से होता है जब घात पर घात हर घात पर प्रतिघात होता है लो, अब यहाँ ऐसा भी होता है………!!!!!! मर्म दिल का नहीं जानते अपनों के अब सगा तो बस अच्छे हालात वाला होता है लो, अब यहाँ ऐसा भी होता है…….!!!!!! दिन भर में कितने झूठ हम बोलते हैं सबसे कितनो का सोचना किसी की बरबादी से खत्म होता है लो अब यहाँ ऐसा भी होता है………!!!!!!!