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Showing posts from November, 2014

आवाज खुशी की

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अभी मैँ बस बाहर आकर बैठा ही था, कि रोज के शोर मे से अलग हटकर , कुछ अलग सी आवाजेँ मेरे कानो मे आयी, वैसे तो गली के उस शोर मेँ, हर आवाज खुशी की होती थी, क्युँकि आने वाली आवाजो मेँ अक्सर, वो आवाजेँ बच्चो की ही होती थीँ ......!!!! खैर जो भी हो, उन नयी आवाजो ने मेरा ध्यान अपनी तरफ खीँचा, मैने थोडा सा झुक कर नीचे देखा, और मन मे अजीब सी जीत की खुशी नजर आयी, ना जाने क्युँ ऐसा लगा कि कुछ मिल गया हो मुझे जिसकी तलाश थी मुझको.....!!! वो मोहल्ला जहान मैँ अभी अभी आया था, बहुत छोटा था, वैसे कहना तो गलत होगा, पर ये सच है कि यहाँ बहुत बडे लोग नही रहते हैँ, इनमे से ज्यादातर लोग ऐसे हैँ जो बस मेहनत मजदूरी करते हैँ, और अपने बच्चो का किसी तरह पेट भरते हैँ....!!! तो इसी तरह क घरो मे से एक घर जहाँ 5- 6 बच्चे हैँ, वो अक्सर दिख जाते हैँ मुझे  अपने किराये के मकान की छत पर बैठे हुए, बेशक मै उन्हे गौर से देखत हुँ, पर वो मुझे नही, क्युँकि वो काफी ध्यान से  गली मे खेलते हुए बाकी बच्चो को देखते रह्ते हैँ....!!! खास बात तो ये है, कि वो भी बच्चे ...

तुम ही वो हो

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वेदना , कश्ट , दुख - दर्द , तकलीफ , और भी बहुत सी ऐसी ही अप्रिय भाव , मेरी जिन्दगी मे सिर्फ तब - तब आते हैँ, कि जब भी मैँ तेरी यादो की पोटली खोल कर बैठता हूँ, जरा सा पीछे लौट्कर जाता हूँ, और तेरे पहलू मे बिताये हुए वो पल याद करता हूँ, जब भी याद करता हुँ कि तुम ही वो थी जिसे मैने चाहा था, और तुम ही वो हो जिसने मुझे सिर्फ अपने प्रयोग मे लाया था.....!!!

एक कहानी सुनाऊँ ??

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सुनो....  है कोई ??? मैँ एक कहानी सुनाऊँ ?? मेरी कहानी, मेरी अपनी कहानी..... ये कहानी बहुत अच्छी तो नही है, पर ये सच है इसमे कोई शक नही है, मै ना एक बच्ची हुँ, छोटी सी बच्ची, मैँ बहुत प्यारी सी हुँ, हाँ सच मेँ....!!!!!! पता है, जब मैँ पैदा हुई थी, तो हमेशा अपनी माँ के पास रहती थी, मेरी माँ बहुत अच्छी है, हाँ !!! सच मेँ, मुझे बहुत प्यार करती है....!!! और जिस दिन पैदा हुई थी, उस दिन मैने मम्मी का बहुत सारा दूधू पिया था, मम्मी ने मुझे बहुत प्यार भी किया था....!!! कुछ और लोग भी आये थे, जो मुझे मम्मी के पास से खीँच कर , अपनी गोद मेँ बैठा रहे थे, मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीँ लग रहा था, पर उन्हेँ कोई मतलब नही, वो लोग फिर भी बिना किसी हक के ही मुझपे अपना हक जता रहे थे..... 2 - 4 दिन बाद तो हद ही हो गयी, मैँ दूधू पी रही थी, अपने बाकी भाई - बहनो के साथ , अरे हाँ मैँ ये तो बताना भूल ही गयी , कि मेरे और भी भाई - बहन थे , पता है, वो भी बहुत प्यारे - प्यारे थे, एकदम सुन्दर - सुन्दर से, बिल्कुल मेरे जैसे......!!!!! हाँ तो मैँ क्या बोल रही थी, अरे...

🌳🌳🌳 मेरी कहानी 🌳🌳🌳

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खास नही है मेरी कहानी, जिसमे कुछ बात नजर आये, हाँ, ढूँढ्ने वाला अगर कोई मन से ढुँढे, शायद कुछ अधूरे एहसास नजर आ जायेँ, कुछ खास नहीँ है मेरी कहानी.... कोयी नयी नही है मेरी कहानी, है सबके जैसी ही बिल्कुल्, जो हाल हुआ हर युग मे सच्चे प्रेमी का, शायद उसकी कोई छाप नजर आ जाये, पर खास नही है मेरी कहानी...... तुम सब कि शायद जातेँ है, पर मेरी कोई जात नही, कोइ प्रेम चढा होगा इन जातो की मौत कभी, देखने वाले गौर से देखो, शायद उस मौत की बास मुझसे भी आये, कोइ खास नही है मेरी कहानी...... ना मेरा जीवन अभिमानी, न मेरा दर्पन अभिमानी, कुछ साँस तोडते रिस्तो मे, पैसे का हाँथ रहा होगा, अरे गौर करो, शायद मेरी बरबादी मे पैसे का प्यार रहा होगा, कुछ खास नही है मेरी कहानी........ दिलचस्प नही है मेरी जवानी, मैँ दिल अपना खो आया हु, किसी खुदगर्ज सनम के आगे मै , दिल को पैसे से तोल आया हूँ, कुछ खास नही है मेरी कहनी...... जरा सबर करो ए मतवालो, न दिल की बोली लगाओ तुम्, मतलब की इस दुनिया मे, जीवन भर को सनम तो नही मिलता, मत करो भरोसा इस दिल पे, इस दिल के हाँथो मै खुद को बेच आ...

मेरी नन्ही परी

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एहसास अपनेपन का बहुत खास होता है, हर सपने के सच होने का आभास होता है, जब कोई अपना दिल के बहुत पास होता है...  जीवन मेँ अदा हर घुल जाती है, जब मेरी नन्ही सी परी मुझे देख कर मुस्कुराती है..... हर रस जीवन का मधुर रस मे बदल जाता है, जब मेरी नन्ही परी मेरे पास आने को अपने छोटे - छोटे हाँथ आगे बढाती है..... मैँ अधीर हो उठता हुँ, शायद बैठे ही बैठे कहीँ  उड निकल चलता हुँ, जब वो अपने कोमल पैरो से डगमगाती हुई मेरी तरफ बढ्ती है..... हर साज भूल जाता हु, मीठी से भी मीठी आवाज भूल  जाता हूँ , जब भी कभी वो अपने कमल जैसे मुँह से तोतली आवाज मेँ मुझको बुलाती है.... खुशबू गुलाब की भी फीकी लगती है, दुनिया सारी झूठी लगती है, जब मेरी नन्ही परी अपने नन्हे हाँथो से मुझको अपना जूठा खिलाती है...... यूँ तो बातेँ बहुत करती है, अन्जानी भाशा मेँ और बेहद मीठे भावो से ना जाने क्या - क्या कह्ती है, कोशिश तो बहुत करता हू समझने की, मगर फिर भी थोडी सी नासमझी रह जाती हैँ...... बहुत खूब उसका तरीका है, मुझसे प्यार जताने का, मनमानी करने का, और फिर मुझसे रूठ जाने का, क्युँकि म...

तुझे मैँ बद्दुआ नही दूँगा,

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फिक्र ना कर मुझे इस तरह तडपाने वाले ए बेरहम , तुझे मैँ कोई बद्दुआ नही दूँगा, वो तो तू खुद ही तडप जायेगा एक दिन्, अपने खुद के गुनाहो को याद करके...... सब्र तो कर ए मेरी हसरतो के बेरहम कातिल्, अभी वक्त आया नही, अभी तक तो मैँ भी हूँ जिन्दा, एक दिन खुद ही मर जाउँगा, तेरी बेवफाई को याद करते - करते..... अभी और कर इन्तजार जरा सा ए मोहब्बत को बदनाम करने वाले, मेरा भी वक्त आयेगा, जितना रोया हूँ मैँ तेरी बेपरवाही से, तू भी हलाक -ए- हसरत हो  जायेगा रोते - रोते..... जरा सा ठहर जा, ए मेरी मोहब्बत कि आबरू को जिन्दा ही दफनाने वाले, मै तेरी बरबादी नही माँगूगा, पर तू खुद ही दफन हो जायेगा कब्र मे जिल्लत्- ए- दगाबाजी की, मेरी सड्ती हुयी लाश को खोद्ते- खोद्ते.... गुरूर मत कर जो तुझे मिल गया जिन्दगी मेरी तबाह करके, खुश मत हो, क्युँकि तूने लिया मुझसे सिर्फ वो जो तेरा था, फिर खुद पे क्युँ दाग ये लगाया, मुझसे माँग कर तो देखा होता, मै आखरी साँस भी नाम तेरे कर देता हँसते - हँसते.....

एक यात्रा समाज की

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        मुझे समझ नही आता कि लोग खुद को क्या समझते है,  सबसे जादा समझदार , होशियार , खूबसूरत या फिर हद से जादा अक्लदार |            ऐसा मैने एक बार नही कयी बार देखा है, सच कहूँ तो सिर्फ देखा ही नही बल्कि सामना भी किया है. कि किस तरह खुद को ऊँचा बनाने के लिये,  या बेहतर साबित करने के लिये लोग दूसरो को नीचा और घटिया  साबित करने पे जी जान से उतर आते हैँ.        सामने वाले कि कोई गलती हो न हो, उसका उनसे कोई ताल्लुक हो ना हो, चाहे वो उन्हेँ जानता भी ना हो, पर उन खुद को शानदार समझने वले लोगो को इससे कोई मतलब नही, वो हर हाल मे उन्हेँ जलील कर्के हो छोडेँगे.       खैर अब जादा न बोलूँ नही तो मै भी कोई शहँशाह नही हुँ क लोग मुझे ऐसे ही जाने देँ. चलो आज की ही एक छोटी सी बात बताता हुँ -          आज मै अपने कुछ दोस्तो के साथ बाहर घूमने गया था. काफी देर घूमने के बाद हमे थोडी सी भूख लग गयी थी थोडी सी क्या दर असल कुछ जादा ही भूख लगी थी.......    सच तो ये है क ...

शायद तुम यू ना जाते कभी मुझको छोडकर

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काश कि जरा सा भी एहसास होता तुम्हे, मेरी तरसती आखो से बरसती बूदो का, तो शायद तुम यू ना जाते कभी मुझको छोडकर .... बस एक बार तो मुझे अपने दिल से लगाते, शायद जान जाते मेरी धडकनो की आवाज सुनकर्, कि ये दिल भी तेरा और धडकन भी तेरी है, तब शायद तुम ना जाते कभी यू मुझको छोडकर ... बस एक बार इतने करीब आते , कि दरमियाँ कोई फासला ना रह जाता, तब शायद कुछ करीब आ पाते, मेरी साँसो को अपना मानकर्, और यूँ ना जाते कभी मुझको अकेला छोडकर्... कभी तो झाँक कर देखते मेरी गुरबत मेँ, कि आखिर ऐसा भी क्या है मेरी मोहब्बत मेँ, कि साँस भी लेने को दिल ना चाहे तुझसे रूठ्कर्, तब शायद तुम न जाते मुझको यूँ अकेला छोडकर्...